वास्थानेश्वर महादेव मंदिर राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित एक प्राचीन और पावन स्थल है। यह स्वरूपगंज से कृष्णगंज रोड पर स्थित उबेरा गाँव से होकर आबू पर्वत की तलहटी में स्थित है। प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक शांति के कारण यह स्थान श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। भोलेनाथ का यह मंदिर अद्वितीय है, जहाँ पर कल-कल बहते झरने, हरियाली से भरे पहाड़ और आबू का पहाड़ी वातावरण श्रद्धालुओं को आध्यात्मिकता और प्रकृति की अनुपम सुंदरता का अद्भुत अनुभव कराते हैं। यह स्थान आबू पर्वत के मनोरम दृश्यों का परिचायक है, जिसे यहाँ आने वाले श्रद्धालु विशेष रूप से “आबू की तरोहर” कहते हैं।

वास्थानेश्वर महादेव मंदिर में श्री श्री 1008 मुनिजी महाराज का भी मंदिर है। यह पवित्र स्थल मुनिजी महाराज की गहन तपस्या का स्थान है, जहाँ उन्होंने कई वर्षों तक साधना की थी। उनकी तपस्या और त्याग के कारण यह स्थल एक तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध है। मुनिजी महाराज की साधना ने इस स्थान को विशेष धार्मिक और ऐतिहासिक महत्त्व प्रदान किया है। उनके त्याग और तपस्या की पवित्रता को महसूस करने के लिए दूर-दूर से भक्त और साधु यहाँ आते हैं।
वास्थानेश्वर महादेव मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
मंदिर का ऐतिहासिक महत्व भी बहुत प्राचीन है। यह माना जाता है कि जब आबू पर्वत को देवी-देवताओं के निवास स्थान का वरदान मिला, तब वास्थानेश्वर महादेव मंदिर को उनका स्वागत करने का मुख्य द्वार माना गया। यहाँ भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों की उपस्थिति है, जो एक विशेष धार्मिक समर्पण को दर्शाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु यहाँ मेहमान स्वरूप में विराजमान हैं, इस कारण शिवजी से पहले उनकी पूजा की जाती है। इस मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा के साथ उनके वाहन गरुड़ भगवान की मूर्ति भी स्थापित है, जो भगवान विष्णु के सम्मान और महत्त्व को और भी बढ़ाती है।

मंदिर के गर्भगृह में भोलेनाथ का प्यारा सा प्राकृतिक शिवलिंग है। वर्षा ऋतु में झरने का शीतल जल इस शिवलिंग पर बहता रहता है, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे माँ गंगा स्वयं भगवान शिव के चरण पखार रही हों। यह दृश्य श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत अद्भुत और मनोहर होता है। इस दृश्य को देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है। इस मंदिर का रखरखाव और पूजा का कार्य रावल ब्राह्मण समाज द्वारा किया जाता है, जो कई पीढ़ियों से इस धार्मिक परंपरा को निभाते आ रहे हैं।
माउंट आबू ,शेरगांव ,जबकेश्वर महादेव और ईशान भैरूजी जाने का सबसे सरल और आसान रास्ता वास्तानेश्वर महादेव मंदिर से होकर ही जाता है , जहा पर कई श्रद्धालु दर्शन करने पैदल चढ़ाई यहाँ से ही शुरू करते है ! उबेरा गाँव से कई स्थानीय लोग हर रोज शेरगांव आते जाते रहते है !
वास्थानेश्वर महादेव मंदिर में पौष सुदी 7 को एक विशेष मेले का आयोजन होता है। यह मेला मुनिजी महाराज की पुण्य तिथि पर आयोजित किया जाता है और इस दिन यहाँ एक धार्मिक सभा का वातावरण बन जाता है। दूर-दूर से साधु-संत और भक्त यहाँ एकत्र होते हैं और जंगल के आस-पास धूनी रमाते हैं तथा तपस्या करते हैं। यह रात साधु-संतों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन साधु-संत अपने तप से इस पवित्र स्थल की महत्ता और धार्मिकता को और भी बढ़ाते हैं।
इस मेले का आयोजन हर साल किया जाता है और इसे देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। यहाँ की आध्यात्मिकता और शांति भक्तों को आत्मिक शांति प्रदान करती है। इस पवित्र अवसर पर मंदिर का वातावरण भक्ति और श्रद्धा से परिपूर्ण हो जाता है, जिसमें भक्तों का मन अपने आप ही भगवान शिव और मुनिजी महाराज की महिमा में लीन हो
मंदिर की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्ता
वास्थानेश्वर महादेव मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी सिरोही जिले का एक महत्वपूर्ण स्थल है। यहाँ भगवान शिव और विष्णु की एक साथ पूजा, उनके आपसी सहिष्णुता और संतुलन के प्रतीक रूप में मानी जाती है। भारतीय धार्मिक परंपराओं में यह स्थल विशेष स्थान रखता है, जहाँ भगवान विष्णु को शिवजी से पहले पूजा जाता है। यह धार्मिक सहिष्णुता और समर्पण का प्रतीक है, जो भारतीय संस्कृति की विशेषता को दर्शाता है।
यह मंदिर एक अद्भुत स्थान है, जहाँ प्रकृति और आध्यात्मिकता का अनोखा संगम है। वास्थानेश्वर महादेव मंदिर में बिताए पल भक्तों के जीवन में शांति और आस्था की अनुभूति लेकर आते हैं।