माँ कालरात्रि |अज्ञान और भय का नाश करने वाली देवी

Maa-KaalRatri
माँ कालरात्रि को देवी दुर्गा के सातवें रूप के रूप में पूजा जाता है। नवरात्रि के सातवें दिन उनकी आराधना ...
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माँ कात्यायनी | शक्ति और साधना की देवी

Maa-Katyayni-devi
माँ कात्यायनी को देवी दुर्गा के छठे रूप के रूप में पूजा जाता है। नवरात्रि के छठे दिन भक्त माँ ...
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माँ कूष्माण्डा | सृष्टि की सृजनकर्ता और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक

Maa-Kushmanda
माँ कूष्माण्डा देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों में से चौथे रूप में पूजी जाती हैं। नवरात्रि के चौथे दिन उनकी ...
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माँ चंद्रघंटा | नवरात्रि की तृतीय देवी शांति व साहस का प्रतीक

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माँ चंद्रघंटा नवरात्रि के तीसरे दिन पूजी जाने वाली देवी हैं। उनका यह स्वरूप साहस, शक्ति, और शांति का प्रतीक ...
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माँ ब्रह्मचारिणी | नवरात्रि की द्वितीय देवी और तपस्या की प्रतीक

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माँ ब्रह्मचारिणी का रूप देवी पार्वती का तपस्विनी स्वरूप है, जो तप, संयम और धैर्य की देवी मानी जाती हैं। ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या या ध्यान, और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली।
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माँ शैलपुत्री | नवरात्रि की प्रथम देवी और उनकी महिमा

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नवदुर्गा में प्रथम रूप माँ शैलपुत्री का होता है, जो देवी पार्वती का स्वरूप हैं। माँ शैलपुत्री का नाम उनके पिता हिमालय के कारण पड़ा, जो पर्वतों के राजा थे ।
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Bhimeshwar Mahadev Temple | भीमेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास

Bhimeshwar-Mahadev
भीमेश्वर महादेव मंदिर (Bhimeshwar Mahadev Temple) का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। भीमेश्वर महादेव मंदिर का नाम एक शिव भक्त माली भीमाजी से जुड़ा हुआ है,
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History Of Markundeshwar Mahadev Temple | मारकुंडेश्वरजी महादेव मंदिर इतिहास

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History Of Markundeshwar Mahadev Temple | मारकुंडेश्वरजी महादेव मंदिर इतिहास मारकुंडेश्वरजी महादेव मंदिर, राजस्थान के सिरोही जिले के अजारी गांव में स्थित एक प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है। यह मंदिर अपनी पौराणिक मान्यताओं और धार्मिक महत्त्व के कारण विशेष रूप से प्रसिद्ध है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 7वीं सदी में हुआ था और यह मंदिर न केवल भगवान शिव को समर्पित है, बल्कि माँ सरस्वती की भी पूजा-अर्चना यहाँ की जाती है। मंदिर का यह स्थान प्राकृतिक सुंदरता और वन्य क्षेत्र से घिरा हुआ है, जो इसे और भी पवित्र और धार्मिक रूप से महत्त्वपूर्ण बनाता है।
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History Of Sundha Mata Temple | सुंधा माता मंदिर का इतिहास

Sundha-Mata
सुंधा माता का मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक महत्त्व को भी दर्शाता है। यहाँ की प्राचीन मूर्तिकला, धार्मिक मान्यताएँ, और प्राकृतिक सौंदर्य सभी को आकर्षित करते हैं। यह स्थान न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी आस्था और भक्ति का केंद्र है। सुंधा माता का यह पवित्र तीर्थ स्थल भारतीय संस्कृति, इतिहास, और कला का अनमोल खजाना है, जो आज भी लोगों के बीच अपनी महत्ता बनाए हुए है।
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Sarneshwar Mahadev Temple | सारणेश्वर महादेव

Sarneshwar-Mahadev-Sirohi
"सारणेश्वर महादेव मंदिर" सिरोही शहर से करीब 4.3 किलोमीटर दूर सरणुआ की पहाडियों में सिरोही बायपास , ब्यावर - पिंडवारा नेशनल हाई वे रोड से थोड़ी दुरी पर स्थित है !
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माँ आरासुरी अंबाजी प्रधान शक्तिपीठ तीर्थ धाम अहमदाबाद से केवल 4 घंटे की दुरी पर है राजस्थान का यह हिल स्टेशन दीवाली पर आते है दुनिया भर से पर्यटक नवरात्रि 9 देवी के नाम महाराणा प्रताप से जुड़ा जबकेश्वर महादेव का इतिहास आरासुरी अंबाजी नाम की कहानी