राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले की पंचायत समिति भदेसर के मण्डफिया गाँव में स्थित श्री साँवलियाजी का मंदिर, भक्ति, शक्ति, पराक्रम और बलिदान का प्रतीक है ! यह पवित्र स्थल पूरे वर्ष देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है !
सांवरिया सेठ: आस्था और चमत्कारों का केंद्र
भारत में देवालयों और धार्मिक स्थलों का विशेष महत्व है, जहां भक्त अपनी श्रद्धा और विश्वास प्रकट करते हैं ! राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित सांवरिया सेठ मंदिर ऐसा ही एक पवित्र मंदिर है ! यह मंदिर भगवान कृष्ण के सांवले स्वरूप को समर्पित है और इसे “सांवरिया सेठ” के नाम से जाना जाता है ! यह मंदिर भक्तों के लिए आस्था और चमत्कारों का केंद्र है, आइए इस मंदिर के इतिहास, महत्व, और यहां तक पहुंचने के मार्ग पर विस्तार जानते है !

सांवरिया सेठ चमत्कारी मूर्ति की ऐतिहासिक गाथा
कहा जाता है कि मेवाड़ के महाराणा संग्राम सिंह और बाबर के बीच हुई लंबी लड़ाई के बाद विक्रम संवत 1584 में राणा का निधन हो गया ! मीराबाई के पति भोजराज भी विवाह के कुछ समय बाद स्वर्गवासी हो गए, और मीराबाई एकाकी हो गईं, इस दौरान साधु-संतों की एक जमात मेवाड़ क्षेत्र में पहुँची ! उनके पास श्री साँवलियाजी की चार दिव्य मूर्तियाँ थीं, जिनकी विधिवत पूजा-अर्चना की जाती थी !
चित्तौड़ के समीप बेड़च नदी के किनारे यह जमात पहुँची, जहाँ भजन-कीर्तन और पूजा का आयोजन होता था ! भक्तों का जमावड़ा होने लगा था ! इसी दौरान भक्त मीराबाई को भी साधु-संतों के सत्संग का अवसर मिला ! चार मूर्तियों में से एक छोटी मूर्ति ने मीराबाई का मन मोह लिया ! मीराबाई अपनी वीणा बजाकर भजन-कीर्तन करतीं और इस दिव्य मूर्ति के सामने भावविभोर हो जाती थीं !
मूर्तियों का अद्भुत प्राकट्य
औरंगजेब के शासनकाल में मंदिरों और मूर्तियों को तोड़ने का अभियान चल रहा था ! संत दयाराम की जमात ने चारों मूर्तियों को बचाने के लिए चित्तौड़ के पास बागुंड गांव में एक वटवृक्ष के नीचे दफना दिया ! समय बीतता गया, और संत धीरे-धीरे वहाँ से चले गए ! लगभग 250 वर्षों बाद मण्डफिया के भोलाराम गुर्जर को सपना आया कि वटवृक्ष के नीचे चार मूर्तियाँ दबी हुई हैं। ग्रामीणों ने मिलकर स्थान की खुदाई की और तीन मूर्तियाँ बाहर निकालीं ! इन मूर्तियों में से एक मण्डफिया में, दूसरी बागुंड में और तीसरी भादसोड़ा में स्थापित की गई ! इन प्रतिमाओ का रंग सांवला था, जो भगवान कृष्ण के सांवले रूप का प्रतीक है, धीरे-धीरे यह स्थान भक्तों के बीच प्रसिद्ध होता गया और इसे सांवरिया सेठ के नाम से पहचाना जाने लगा ! मण्डफिया में स्थापित की गई मूर्ति वही थी, जिसने मीराबाई का मन मोहा था ! माना जाता है कि श्री सांवलिया सेठ मीराबाई के वही गिरधर गोपाल हैं, जिनकी वह प्रतिदिन पूजा करती थीं ! उस समय मीरा बाई इन मूर्तियों के साथ साधु-महात्माओं की टोली में घूमा करती थीं ! दयाराम नामक संत का एक ऐसी टोली थी, जिसके पास ये मूर्तियाँ थीं !
श्री साँवलियाजी के अद्भुत चमत्कार
मंदिर से जुड़ी कई चमत्कारी घटनाएँ प्रसिद्ध हैं, इनमें “घी की कुई” की कथा सबसे चर्चित है, जहाँ अन्नकूट के दौरान प्रभु ने पानी को घी में बदल दिया था !
1992 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत के साथ एक चमत्कारी घटना घटी, जब दोपहर में गर्भगृह का ताला निर्धारित समय से पहले नहीं खुला, परंतु जैसे ही दर्शन का समय हुआ, ताला स्वतः खुल गया !
दानपेटी से हर माह करोड़ों की धनराशि निकलती है, जो इस बात का प्रमाण है कि श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएँ पूर्ण होने पर यहाँ चढ़ावा चढ़ाते हैं !
सांवरिया सेठ की मान्यताएं
सांवरिया सेठ मंदिर में भगवान कृष्ण को एक व्यापारी के रूप में पूजा जाता है! ऐसा माना जाता है कि यहां जो भी सच्चे मन से प्रार्थना करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है ! व्यापारियों के लिए यह स्थान विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे मानते हैं कि सांवरिया सेठ की कृपा से उनका व्यापार दिन-रात फलता-फूलता है !
प्रमुख धार्मिक आयोजन
श्री साँवलियाजी मंदिर में वर्षभर विभिन्न धार्मिक उत्सवों का आयोजन होता है ! जन्माष्टमी, जल-झूलनी एकादशी, दीपावली, अन्नकूट, देवउठनी एकादशी, निर्जला एकादशी, शरद पूर्णिमा, बसंत पंचमी, और महाशिवरात्रि जैसे पर्व यहाँ बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं ! हर अमावस्या को महाप्रसाद का आयोजन होता है, और भंडार (दानपेटी) भी नियमित रूप से खोली जाती है !
सांवरिया सेठ मंदिर कैसे पहुंचे
चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित सांवरिया सेठ मंदिर देश के विभिन्न भागों से सड़क, रेल और वायु मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है !
- सड़क मार्ग: मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग-27 के करीब स्थित है, यह चित्तौड़गढ़ से लगभग 40 किमी, निम्बाहेड़ा से 40 किमी, कपासन से 35 किमी, और उदयपुर से 70 किमी की दूरी पर है !
- रेल मार्ग: नजदीकी रेलवे स्टेशन चित्तौड़गढ़ (40 किमी), निम्बाहेड़ा (40 किमी), कपासन (35 किमी), और उदयपुर (80 किमी) हैं ! ये रेलवे स्टेशन भारत के मुख्य रेल मार्ग से जुड़े हुए हैं! वहां से टैक्सी और बस के माध्यम से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है !
- वायु मार्ग: उदयपुर का महाराणा प्रताप एयरपोर्ट सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है ! यहां से सड़क मार्ग द्वारा मंदिर तक पहुंचा जा सकता है !
यात्रा के लिए उपयोगी टिप्स
• मंदिर प्रातःकाल 5 बजे से रात्रि 10 बजे तक खुला रहता है !
• धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान भीड़ अधिक होती है, इसलिए समय पर पहुंचना बेहतर है !
• मंदिर परिसर में फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है !
• श्रद्धालु मंदिर के पास स्थित धर्मशालाओं और होटलों में ठहर सकते हैं !
सांवरिया सेठ मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह श्रद्धा, विश्वास और चमत्कारों का केंद्र भी है ! यहां आकर भक्त आध्यात्मिक शांति का अनुभव करते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान कृष्ण के इस सांवले रूप की आराधना करते हैं ! यदि आप भी भक्ति और अध्यात्म के इस अनोखे संगम का अनुभव करना चाहते हैं, तो सांवरिया सेठ मंदिर अवश्य जाएं ! यह स्थान न केवल आपकी आस्था को मजबूत करेगा, बल्कि आपको एक नई ऊर्जा और प्रेरणा भी प्रदान करेगा !