अमरावती नगरी और राजा अमरीश की कहानी

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सिरोही जिले के आबूरोड शहर के मानपुर क्षेत्र के पास स्थित उमरणी गांव में एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जिसे राजा अमरीश की नगरी अमरावती के रूप में जाना जाता है। मंदिर के पुजारी के अनुसार, इस स्थल का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों शिव पुराण और भागवत पुराण में भी मिलता है। यह स्थान राजा अमरीश की तपस्या और भगवान विष्णु की कृपा से जुड़ी हुई अनेक कहानियों का साक्षी है !

राजा अमरीश का तपस्वी जीवन

राजा अमरीश एक महान तपस्वी और धर्मनिष्ठ राजा थे। उन्होंने कई वर्षों तक कठोर तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए। भगवान विष्णु ने राजा अमरीश को वरदान मांगने को कहा कि हे राजन जो तुम मांगोगे वो तुम्हे मिलेगा ! राजा अमरीश ने निस्वार्थ भाव से वरदान में अपनी पूरी नगरी अमरावती के जीव-जंतुओं और प्रजा को स्वर्ग में जीवित अवस्था में ले जाने की इच्छा प्रकट की। भगवान विष्णु ने उनकी इस भक्ति और निस्वार्थता को देखकर उनकी इच्छा पूर्ण करने का वचन दिया !

भगवान् विष्णु ने सभी को स्वर्ग लेके जाने के लिए बड़ा विमान अमरावती नगरी में उतारा था ऐसा माना जाता है की वो विमान बहुत ही विशालकाय था और उसके 84 पैर थे, उस विमान के पैरो के निशान आज भी मंदिर के पिछले हिस्से जंगल में मौजूद है !

अमरावती नगरी के प्रजा के साथ राजा अमरीश विमान में बैठकर स्वर्ग के लिए रवाना हो गए, के आधे रास्ते पहुचते पहुचते राजा अमरीश के मन में विचार आया की मेरे जैसा तपोबली राजा और कौन ?? में कितना भाग्यशाली हु मेरे जैसा और कोई तपस्वी नहीं जो मानव शरीर के साथ जीवित स्वर्ग में जा रहा हु !

राजा के मन में ऐसा विचार आते ही विमान बिच में ही रुक गया भगवान विष्णु ने राजा अमरीश से कहा हे राजन तुम्हे अपनी भक्ति पर अहम् आ गया मेरा तुम्हाहरा वचन ख़तम हो गया, अब तुम निचे धरती पर वापस जा सकते हो, राजा अमरीश ने भगवान् से प्रार्थना की और कहा की हे भगवान् ये गलती मैंने की है तो आप मुझे अकेले को ही सजा दो मेरी प्रजा सब खुशिया मनाते हुए जा रहे उन्हें जाने दो और मुझे वापस धरती पर भेज दो ! राजा अमरीश को निचे भेज दिया और प्रजा सब गए स्वर्ग में !

राजा अमरीश ने धरती पर आकार फिर से भगवान् विष्णु की तपस्या शुरू कर कर दी, राजा अमरीश की कठोर तपस्या से स्वर्ग के राजा इंद्र का सिहासन डोलने लगा और राजा इंद्र को यह डर सताने लगा कि राजा अमरीश इतनी तपस्या करके मेरा राज न छीन लेवे !

इंद्र देव ने राजा अमरीश की तपस्या भंग करने के लिए ऊपर से बड़ा सा पत्थर राजा अमरीश पर ऊपर से फेका, राजा अमरीश के कठोर तपोबल से वह बड़ा पत्थर राजा अमरीश के सर पर जटाओ से टकरा कर उनके ऊपर अधर ही रुक गया ! वही बड़ा पत्थर जो एक बड़ी शिला आज भी ऋषिकेश भगवान मंदिर के सामने पहाड़ पर अधर मौजूद है और उस शिला में राजा अमरीश के सर से टकराया वहा खड्डे के निशान आज भी उस शिला में मौजूद है !

raja amrish adhar shila

इंद्र देव जब राजा अमरीश की तपस्या भंग नहीं कर पाए तो वो भगवान् विष्णु के पास गए और कहा भगवान आप कुछ करो हमारे बस की बात है नहीं राजा बहुत तपोबली है ! भगवान् विष्णु वापस धरती पर दुबारा आये राजा अमरीश को लेने के लिए, राजा अमरीश ने भगवान विष्णु को कहा भगवान् मुझे स्वर्ग नही देखना है, इस जगह आप स्वयं आओ ताकि मै आपके दर्शन रोज़ करता रहू, भगवान् विष्णु स्वयं आये, भगवान् भोलेनाथ स्वयं आये, माँ भद्रकाली स्वयं आई !

उमरणी गांव में भगवान विष्णु का मंदिर स्थित है, जिसे ऋषिकेश भगवान के नाम से जाना जाता है। इसके पास ही भगवान भोलेनाथ का कर्णीकेश्वर महादेव मंदिर और मां भद्रकाली का मंदिर भी है। ये मंदिर इस ऐतिहासिक कथा और राजा अमरीश की भक्ति का प्रमाण हैं और यहां हर साल श्रद्धालु भारी संख्या में दर्शन करने आते हैं।

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