शनि देव अमृतवाणी लिरिक्स | Shani Dev Amritwani Lyrics

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शनि देव अमृतवाणी लिरिक्स | Shani Dev Amritwani Lyrics

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हे नीलांजन समाभाषम, रविपुत्रं यमाग्रजम
छाया मार्तंड संभूतं, तम नमामि शनेश्वरम
दिन दयालु हे हितकारी, शनि देव महाराज
न्याय पति हे छाया पुत्र, दयावंत सरताज

न छोटा न कोई बड़ा है, सब है एक समान
देव दैत्य या हो मानव, धरती या आसमान
भेदभाव न कोई चलता, एक सा ही व्यवहार
दंड देते जैसी हो करनी, हो ज्ञानी या गंवार

ध्यान तुम्हारा हे शनिदेव, जो मानव चितलाए
रहम नजर कर देते उसपे, जो शनी गुण गाए
प्रात उठके करे आराधन, उड़द तेल जो चढ़ाए
प्रसन्न होते है भगवन फिर, बिगड़े काम बनाए

निर्बल को न सताए जो, करे पर उपकार
उसके सर पे हाथ धरके, बन जाते आधार
काला कपडा दान दे जो, शनिवार के दिन
उसके जीवन से हट जाते, संकट के पल छीन

शिगणापुर में धाम शनि का, रहता जहाँ है वास
पल पल क्षण क्षण जो सुमिरे, जिसको है विश्वाश
शनिदेव है परम कृपालु, करते वो पूरण आस
संकट हारी अति बलदायक, दुष्टों का है विनाश

ढैय्या साढ़ेसाती शनि की, करती है उपचार
अच्छा बुरा फल कर्म का, देते सोच विचार
राजा को ये रंक बनादे, रंक को करदे राव
बिच भंवर में डूब रही जो, पार कर दे वो नाव

वक्र दृष्टि जिसपे पड़ती, वो नहीं बच पाए
एक शनि ही है सहारा, किस विध गुण हम गाए
विक्रम जैसे महाबली के, हाथ पैर तुडवाए
लगा कलंक चोरी का फिर, कोल्हू भी चलवाए

हरिश्चन्द्र पे आई दशा तो, राजपाट सब छुटा
पुत्र पत्नी बीके हाट में, बाँध विपद का टुटा
महलो में वो पलने वाले, बनके रह गए चाकर
शनि देव की है सब माया, क्या होवे पछताकर

सभी ग्रहों में श्रेष्ठ है जो, शनिदेव फलदायक
न्याय के वो शिरोमणि है, सत्य के है नायक
सुर्यपुत्र है वो मंगलकारी, है दया निधान
परम पूज्य वो है कृपालु, शनिदेव भगवान

चार भुजा अति सोहे देवा, माथे मुकुट है साजे
आठो पहर चारो दिशा में, डंका तुम्हारा बाजे
कुंडल चमचम चमक रहे है, हे भक्तन प्रतिपाला
कर में गदा त्रिशूल कुठारा, गले मोतियन की माला

राजा नल पे जो डाली दृष्टि, मच गया हाहाकार
भूंजी मीन भी कुदी जल में, कर दिया चमत्कार
पर्वत को जो कंकर करदे, करे राई को पहाड़
कोई दवा न काम करे फिर, न चले फूँक झाड

गज वाहन पे जब ये आए, भर दे धन भण्डार
रंक भी बन जाते है राजा, सिंह पे जब हो सवार
हानि प्राण की हो जाती है, जब करे मृग असवार
भय चोरी का बड़ा सतावे, स्वान पे जब हो सवार

चार चरण में आते प्रभुवर, चारो के अलग व्यवहार
स्वर्ण लोह चांदी और तांबा, चार ही इनके प्रकार
कौन चरण में क्या फल देवे, कह गए वेद पुराण
अति उत्तम और नीच क्या है, कैसे करे पहचा

लोह चरण है संकट भारी, विपदा टले न टलाए
हानि हो धन की कष्ट बढ़े, कोई न रिश्ता बनाए
ताम्र रजत है शुभकारी, मन को आस बंधाए
स्वर्ण है सबसे मंगलकारी, राज योग बन जाए

स्नेह जो चाहे शनिदेव का, शनिवार है उपाय
गुड उड़द का दान करदे, जैसा ग्रन्थ बताए
तिल जव लोह अन्न धन बांटे, शनि देव हर्षाए
दान करे कपडा या खडाऊ, रहम नजर हो जाए

हम सेवक हम है चाकर, आप हो बड़े महान
भूल क्षमा करना हमारी, हमको नहीं है ज्ञान
दया की दृष्टि सदा ही रखना, शनिदेव भगवान
हम बालक मुरख बड़े है, आप हो सकल सुजान

ताप भरी प्रभु नजर तुम्हारी, रखना शीतल नाथ
विनती करे हम शीश झुकाए, जोड़ लिए है हाथ
प्रेम सुधा रस चाहे प्रभुवर, पूरण करना आस
जब तक घट में प्राण रहेगे, रहू तुम्हारा दास

लेखनी लिखते महिमा गाते, हो गई जो भूल
क्षमा हमें करना शनिदेव, लो श्रद्धा का फूल
सब जीवो पर रहम ही करना, कर देना कल्याण
कहे हितेश हे प्रभुवर जी, रखना हमारा ध्यान

Songs Credit

❖ Song : Shri Shani Dev Amritwani
❖ Singer : Shankar Maheshwari
❖ Music : Dhwani Music Studio, Sujangarh
❖ Lyrics : Hitesh Choudhary
❖ Editor : Hitesh Choudhary
❖ Producer : Tulsi Jaipal


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