खाटू श्यामजी: कलयुग के कृष्ण | Khatu Shyamji Kalyug Ke Krishna

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राजस्थान की धरती पर बसा एक ऐसा गांव है, जहां भक्ति की गूंज दिन-रात सुनाई देती है ! यह स्थान है खाटू श्यामजी का ! भक्तों की आस्था का केंद्र, यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्त्व रखता है, बल्कि एक गहरी ऐतिहासिक और आध्यात्मिक कथा भी समेटे हुए है !

खाटू श्यामजी कौन हैं?

वीर बर्बरीक को ही खाटू श्यामजी के रूप में जाना जाता है, जो महाभारत युग के महावीर घटोत्कच और मौरवी के पुत्र थे और भीम के पौत्र। बचपन से ही बर्बरीक अत्यंत पराक्रमी थे और उन्होंने देवी से तीन अमोघ बाणों का वरदान प्राप्त किया था !

खाटू श्यामजी मंदिर

यह मंदिर राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव में स्थित है, मंदिर सफेद संगमरमर से बना है ! गर्भगृह में श्याम बाबा का शीश प्रतिष्ठित है ! मंदिर में अखंड ज्योत जलती रहती है और हर समय भजन-कीर्तन की ध्वनि गूंजती है !

खाटू श्यामजी मेला

हर साल फाल्गुन शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक विशाल मेला लगता है, लाखों श्रद्धालु पैदल दर्शन के लिए आते हैं ! रथ यात्रा, निशान यात्रा, भजन संध्या इस मेले का हिस्सा होती हैं !

श्याम बाबा की पौराणिक कथा

जब महाभारत का युद्ध आरंभ होने वाला था, तब बर्बरीक अपने तीन अमोघ बाणों और नीले घोड़े पर सवार होकर युद्धभूमि की ओर चले। वे अपने गुरु से वादा कर चुके थे कि वे केवल कमजोर पक्ष की ही सहायता करेंगे !
उनकी अपार शक्ति के बारे में सुनकर भगवान श्रीकृष्ण स्वयं उनके पास पहुंचे, और उनके तीन बाणों की शक्ति की परख करने की ठानी !
श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से पूछा:
“यदि तुम्हारे पास केवल तीन बाण हैं, तो तुम युद्ध कैसे जीत सकते हो?”
बर्बरीक ने मुस्कराकर उत्तर दिया:
“मेरा पहला बाण सारे शत्रुओं को चिन्हित करेगा, दूसरा उन्हें नष्ट कर देगा, और तीसरा बाण अपने आप वापस लौट आएगा !”
इस पर श्रीकृष्ण ने परीक्षा के रूप में एक पेड़ की ओर इशारा किया, जिसमें अनेक पत्ते लगे थे, और कहा:
“अगर तुम इतने शक्तिशाली हो, तो अपने एक ही बाण से इस पेड़ के सारे पत्तों को भेद कर दिखाओ !”
बर्बरीक ने ध्यानपूर्वक बाण चलाया, बाण हवा में घूमता हुआ एक-एक कर सभी पत्तों को भेदने लगा, तभी श्रीकृष्ण ने चुपचाप एक पत्ता अपने पैर के नीचे छुपा लिया !
लेकिन बाण घूमते हुए अंत में श्रीकृष्ण के चरणों की ओर बढ़ने लगा, और वहीं रुक गया, यह देखकर श्रीकृष्ण चकित रह गए ! बर्बरीक ने बताया कि बाण हर चिन्हित वस्तु को भेदे बिना नहीं रुकता, और जब उसे पता चला कि एक पत्ता पैर के नीचे छुपा है, तो वह वहीं चला गया!
इस अद्भुत शक्ति को देखकर श्रीकृष्ण समझ गए कि यदि बर्बरीक युद्ध में उतरते हैं, तो हर बार पराजित पक्ष का साथ देने से युद्ध का संतुलन बिगड़ जाएगा, और युद्ध कभी समाप्त नहीं होगा !
इसलिए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से दक्षिणा मांगी — अपने शीश की दक्षिणा !
बर्बरीक ने बिना किसी संकोच या विरोध के हँसते हुए अपना शीश दान कर दिया ! इससे प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया:
“कलियुग में तुम ‘श्याम’ नाम से पूजे जाओगे, और तुम्हारे नाम का स्मरण करने मात्र से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।”

श्याम नाम की महिमा

भक्त उन्हें हारे का सहारा कहते हैं, उनके नाम का स्मरण करने से भक्तों को मानसिक शांति और समाधान प्राप्त होता है।
खाटू श्यामजी त्याग, निष्ठा और भक्ति के प्रतीक हैं, कलियुग में उनका स्मरण सच्चे मन से करने मात्र से ही भक्तों के संकट दूर हो जाते हैं!

कैसे पहुँचें खाटू श्यामजी?

नजदीकी रेलवे स्टेशन रींगस है (17 किमी)! जयपुर हवाई अड्डा करीब 80 किमी दूर है, सड़क मार्ग से बस और टैक्सी उपलब्ध हैं !

Songs Credit

𝅘𝅥𝅮 Title : Khatu Shyam New Dhun
𝅘𝅥𝅮 Singer : Harsh Vyas
𝅘𝅥𝅮 Music : Harsh Vyas
𝅘𝅥𝅮 Lyricist : Harsh Vyas
𝅘𝅥𝅮 Publisher : Tulsi Jaipal

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