राजस्थान के अरावली पहाड़ी अंचलों में बसे अनेक मंदिरों में कुछ ऐसे भी हैं, जिनकी कहानियाँ केवल श्रद्धा नहीं, बल्कि चमत्कारों और आस्था के जीवंत प्रमाण हैं! आबू के पहाड़ो में स्थित शेरगाँव का ईशान भेरूजी मंदिर एक ऐसा ही पावन स्थान है! यहाँ की लोककथा न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि इस मंदिर में सदियों से निभाई जा रही परंपरा को भी जन-जन से जोड़ती है! यह लेख उस सच्ची घटना पर आधारित है जिसने इस मंदिर को विशेष बना दिया!
संकट की घड़ी और ईश्वरीय संकेत
सालों पहले आबू पर्वत और आस-पास के गाँवों में भीषण अकाल पड़ा! गायो के लिए चारा मिलना मुश्किल हो गया था! ऐसे समय में कुछ ग्रामीण आबू के जंगलों में चारा खोजने निकले! जंगल घना था और रास्ते कठिन! लेकिन जीवन की विवशता ने उन्हें आगे बढ़ने को मजबूर किया !
एक दिन जब ये ग्रामीण चारा बटोर कर लौटने की तैयारी में थे, तब तक शाम हो चुकी थी ! अब पहाड़ी रास्तों से नीचे उतरना असंभव लगने लगा ! जंगल में रुकना खतरनाक था क्योंकि वहाँ शेर, चीतों और भालुओं का भय था ! तभी अचानक उन्हें दूर से ढोल-नगाड़ों, घंटे और आरती की आवाज़ें सुनाई दीं!
वो आवाज़ें कोई सामान्य ध्वनि नहीं थीं – उनमें भक्ति और ऊर्जा का संचार था ! ग्रामीण आवाज़ की दिशा में बढ़ते गए और एक बड़ी चट्टान के नीचे स्थित गुफा तक पहुँच गए! वहाँ जाकर उन्हें ऐसा प्रतीत हुआ कि वहाँ किसी ने हाल ही में पूजा-अर्चना की है – धूप की महक, जलते हुए दीपक और ताज़ा फूल बिखरे हुए थे!
वहाँ कोई दिखाई नहीं दिया, पर वातावरण पूरी तरह दिव्यता से भर चुका था ! ग्रामीणों ने वही रात्रि बिताई! उस समूह में दो ऐसे पुरुष थे, जिनके घरों में संतान नहीं थी! उन्होंने गुफा के भीतर ईशान भेरूजी महाराज से सच्चे मन से प्रार्थना की:
“हे भेरूजी महाराज, यदि आप कृपा करें और हमें पुत्र की प्राप्ति हो, तो हम उसका मुंडन आपके इस पावन स्थान पर करवाएँगे!”
कुछ महीनों बाद, दोनों भक्तों के घर पुत्र रत्न का जन्म हुआ! यह एक संयोग नहीं, बल्कि भक्ति और आस्था का प्रतिफल है ! जब बच्चे थोड़े बड़े हुए, तो दोनों परिवार शेरगाँव आए, ढोल-नगाड़ों के साथ भेरूजी महाराज के मंदिर में मुंडन संस्कार करवाया !
पूरे रीति-रिवाज़ से पूजन हुआ, लड्डू-चूरमे का भोग लगा, और रात्रि में भजन-कीर्तन के साथ जागरण किया गया ! यह वह क्षण था जब एक नई परंपरा की नींव रखी गई!
उस दिन के बाद, आबू पर्वत की तलहटी में बसे 4-5 गाँवों के लोग भेरूजी महाराज को अपना इष्ट देव मानने लगे! जब किसी घर में पुत्र जन्म लेता है, तो वे उसका मुंडन इसी मंदिर में करवाते हैं! यह केवल एक धार्मिक कृत्य नहीं, बल्कि उनके विश्वास और अनुभव का प्रतीक बन चुका है!
इस कथा का एक और चमत्कारी पहलू यह है कि इतने घने जंगल, दुर्गम पहाड़ी और जंगली जानवरों की मौजूदगी के बावजूद आज तक किसी भी भक्त के साथ कोई दुर्घटना नहीं हुई ! न किसी पर जंगली जानवर ने हमला किया, न किसी ने कभी कोई डर महसूस किया ! यह सब भेरूजी महाराज की अपार कृपा मानी जाती है !
ऐसे अनेक अनुभव हुए हैं जहाँ भक्तों ने बताया कि जब भी कोई सच्चे मन से “जय भेरूजी महाराज की” बोलते हुए पर्वत पर चढ़ता है, उन्हें रास्ता सरल और सुगम लगने लगता है! जो पहले कठिन प्रतीत होता है, वही श्रद्धा से आसान हो जाता है! यह अनुभव हर यात्री की यात्रा को विशेष बना देती है!

सबसे आश्चर्यजनक और रहस्यमय अनुभव तब होता है जब कोई सफेद कुत्ता – जिसे स्थानीय लोग “भेरूजी महाराज का सेवक” मानते हैं – भक्तों के साथ स्वयं मंदिर तक जाता है! वह बिना बुलाए साथ चलता है और जब तक भक्त पहाड़ी से वापस नीचे नहीं आ जाते, तब तक उनकी रक्षा करता है! इसके बाद वह शेरगाँव लौट जाता है! यह घटना कई बार कई भक्तो के साथ होती है और हर बार लोगों को चकित कर देती है!
🚩 जय ईशान भेरूजी महाराज की!
ईशान भेरूजी मंदिर केवल एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि आस्था, अनुभव और परंपरा का संगम है! यह वह स्थान है जहाँ संकट में ईश्वरीय संकेत मिले, जहाँ प्रार्थना ने परिणाम दिया, और जहाँ आज भी श्रद्धा जीवंत है!
इस मंदिर की कथा, उसकी परंपरा और उससे जुड़ी भावनाएँ हर भक्त के हृदय को छू जाती हैं ! यदि आप कभी आबूराज की यात्रा करें, तो शेरगाँव स्थित इस पावन स्थान के दर्शन अवश्य करें !
Songs Credits
𝅘𝅥𝅮 Title : Abu Parvat Par Betha Bheruji Mhara
𝅘𝅥𝅮 Singer : Pankaj Nayta
𝅘𝅥𝅮 Music : Pintu Thakor
𝅘𝅥𝅮 Lyricist : Arvind Thakor
𝅘𝅥𝅮 Publisher : Tulsi Jaipal
𝅘𝅥𝅮 Starring : Kumar Gourav & Rena Goswami
𝅘𝅥𝅮 Music Label : Tulsi Jaipal
𝅘𝅥𝅮 DOP : Kishan Solanki & Dharmendra Nath
𝅘𝅥𝅮 Director : Kumar Gourav
𝅘𝅥𝅮 Producer : Tulsi Jaipal