बद्री केदारनाथ मंदिर एक अद्वितीय आध्यात्मिक स्थल

राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित नितोडा गाँव, स्वरूपगंज से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह गाँव अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है और यह अरावली पर्वत श्रृंखला की गोद में बसा हुआ है। इस गाँव का मुख्य आकर्षण है यहाँ स्थित बद्री केदारनाथ तीर्थ धाम, जो भारत में उत्तराखंड के बाद दूसरा प्रमुख बद्री केदारनाथ मंदिर है। यह मंदिर अपनी विशिष्टताओं के कारण आध्यात्मिक महत्व रखता है। यह मंदिर एक श्मशान भूमि और नदी के किनारे स्थित है, जो इसे और भी खास बनाता है।

यह स्थल प्राचीन समय से ही ऋषि-मुनियों की तपोभूमि रहा है। यहाँ भगवान शिव केदारनाथ के रूप में पूजित हैं, जबकि भगवान विष्णु बद्रीनारायण के रूप में प्रतिष्ठित हैं। इस मंदिर के परिसर में एक ऐतिहासिक बावड़ी है, जो कई शताब्दियों पहले के राजाओं के समय की बनी हुई है। इस बावड़ी का पानी पूरे गाँव को पीने के लिए उपलब्ध कराया जाता था, और आज भी यह मंदिर की शोभा और महत्व को बनाए हुए है।

मंदिर में प्रवेश करते ही बाईं ओर स्थित है बद्रीनारायण भगवान का मंदिर। मंदिर का प्रवेश द्वार हाथियों की कलात्मक आकृतियों से सुसज्जित है, जो इसकी शोभा को और भी बढ़ाता है। मंदिर के भीतर प्रवेश करने पर सबसे पहले गरुड़ देवता की प्रतिमा दिखाई देती है, जो भगवान विष्णु के वाहन माने जाते हैं। गर्भगृह में स्थित बद्रीनारायण की मूर्ति दिव्यता और अलौकिकता का प्रतीक है। उनके दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं को अद्भुत शांति का अनुभव होता है। बद्रीनारायण मंदिर के ठीक पीछे हनुमान जी का एक छोटा सा मंदिर भी स्थित है, जो इस पवित्र स्थल की भव्यता में को बढाता है।

बद्रीनारायण मंदिर से थोड़ी दूर स्थित है केदारनाथ मंदिर, जो भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव के केदारनाथ स्वरुप का शिवलिंग स्थापित है। इस शिवलिंग के दर्शन से मन को शांति और दिव्यता का अनुभव होता है। मंदिर के बाहर दो नंदी महाराज की मूर्तियाँ स्थापित हैं, जो इसकी अनूठी विशेषता को दर्शाती हैं, क्योंकि उत्तराखंड के मुख्य केदारनाथ मंदिर में एक ही नंदी की मूर्ति है। इसके अलावा, मंदिर के बाईं ओर हिंगलाज माता और अम्बे माता के छोटे मंदिर भी हैं, जो भक्तों के लिए एक और श्रद्धा का केंद्र हैं।

ऋषि-मुनियों की तपोस्थली का आध्यात्मिक महत्व

बद्रीनारायण मंदिर के सामने ही एक पवित्र स्थल है, जिसे ऋषि-मुनियों की तपोस्थली कहा जाता है। यह स्थान कई ऋषि-मुनियों और साधु-संतों की तपस्या का साक्षी रहा है। मेरे दादाजी के अनुसार, कई वर्ष पहले राजा भरतहरी ने इस मंदिर की तपो भूमि पर 7 दिनों तक तपस्या की थी। राजा भरतहरी साधु के वेश में यहाँ आए थे, जिससे गाँव वाले उनकी पहचान नहीं कर पाए। कहते हैं कि उन्होंने अपने तप के दौरान कोयले से मंदिर की दीवारों पर कुछ संदेश लिखे थे, जो बाद में गाँव वालों को पता चला। इस घटना ने इस स्थल को और भी धार्मिक महत्व प्रदान किया है।

बद्रीनारायण मंदिर के सामने और तपोस्थली के पास स्थित है सूर्यनारायण मंदिर। इस मंदिर के मुख्य द्वार पर पत्थर से निर्मित एक बड़ा श्री यंत्र बना हुआ है, जो मंदिर की भव्यता को दर्शाता है। मंदिर के भीतर भगवान सूर्यनारायण की मूर्ति स्थापित है, जो गणेशजी के साथ विराजमान हैं। इस मंदिर का स्थापत्य और मूर्तिकला कला प्रेमियों के लिए भी एक अद्भुत दृश्य है।
नितोडा गाँव की यह पवित्र भूमि केवल मंदिरों के लिए ही नहीं, बल्कि इसकी सांस्कृतिक धरोहर के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ की बावड़ी, मंदिर की मूर्तिकला, और विभिन्न धार्मिक स्थलों ने गाँव को एक विशिष्ट आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का केंद्र बनाया है। इस गाँव में स्थित बद्री केदारनाथ तीर्थ धाम, धार्मिक यात्रियों और भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण गंतव्य है, जो उनकी आत्मा को शांति और सुकून प्रदान करता है।

नितोडा गाँव में स्थित बद्री केदारनाथ मंदिर न केवल राजस्थान बल्कि पूरे भारत में एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। इसकी ऐतिहासिकता, धार्मिकता, और सांस्कृतिक महत्व इसे एक अनोखा धार्मिक स्थल बनाते हैं। यह गाँव और यहाँ के मंदिर केवल श्रद्धा के स्थल नहीं हैं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और धार्मिक धरोहर का अद्वितीय उदाहरण हैं। यहाँ आकर श्रद्धालु एक दिव्य अनुभव प्राप्त करते हैं और ऋषि-मुनियों की तपो भूमि का साक्षात्कार करते हैं।