अर्बुदा माता मंदिर Arbuda Mata (Adhar Devi) एक गुफा में स्थित है, और जैसे ही आप इसके मुख्य द्वार से प्रवेश करते हैं, एक दिव्य अनुभूति का अनुभव होता है। गुफा के संकरे मार्ग से होकर जब आप माँ अर्बुदा के दर्शन करते हैं, तो एक अद्भुत शांति और आस्था का अहसास होता है। माँ के स्वरूप के दर्शन करते समय मन में यह भावना उत्पन्न होती है कि माँ स्वयं सामने उपस्थित हैं और भक्तों को आशीर्वाद दे रही हैं। इस मंदिर में माँ के अधर (होठों) की पूजा की जाती है, इसलिए इसे अधर देवी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, जो इसे अत्यधिक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व देता है।

माउंट आबू की धार्मिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण केंद्र अधर देवी Arbuda Mata (Adhar Devi) मंदिर है, जिसे अर्बुदा माता के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर पहाड़ियों के ऊपर स्थित है, और यहां तक पहुंचने के लिए लगभग 365 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। माना जाता है कि यह मंदिर माँ कत्यानी देवी के स्वरूप को समर्पित है, और मंदिर की स्थापना से जुड़ी अनेक पौराणिक कथाएं हैं।

अधर देवी मंदिर: माँ अर्बुदा का दिव्य स्थल
अधर देवी Arbuda Mata (Adhar Devi) का मंदिर 51 शक्तिपीठों में शामिल है और इसे लगभग 5000 वर्ष पुराना माना जाता है। इस मंदिर में माँ कात्यानी की पूजा गुप्त रूप में की जाती है, जो स्कंद पुराण में वर्णित है। यह माना जाता है कि यहाँ माता कात्यानी के छठे स्वरूप की स्थापना की गई थी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना करीब साढ़े पाँच हजार वर्ष पूर्व हुई थी, और इसे माँ कात्यानी शक्तिपीठ के रूप में भी जाना जाता है।

माउंट आबू: राजस्थान का प्रसिद्ध हिल स्टेशन
माउंट आबू राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है, जो पर्यटकों के लिए बेहद आकर्षक स्थल है। यह हिल स्टेशन अपनी मनमोहक प्राकृतिक सुंदरता और ठंडे मौसम के कारण देश-विदेश से आने वाले सैलानियों को अपनी ओर खींचता है। माउंट आबू का नजदीकी रेलवे स्टेशन आबूरोड है, जो यहां आने वाले यात्रियों के लिए सुविधाजनक परिवहन साधन प्रदान करता है।
यहां का वातावरण विशेष रूप से गर्मी और बरसात के मौसम में अत्यंत सुहाना हो जाता है। गर्मियों में जब राजस्थान के अन्य क्षेत्रों में तापमान बहुत अधिक होता है, माउंट आबू में ठंडक और हरियाली का आनंद लिया जा सकता है। वहीं बरसात के मौसम में यहां के झरने, हरियाली और वन्य जीवन की खूबसूरती देखने लायक होती है। कई बार पर्यटकों को जंगलों में घूमते हुए भालू भी देखने को मिल जाते हैं, जो इस क्षेत्र की प्राकृतिक विविधता का हिस्सा हैं।
अर्बुदा माता: कई गोत्रों की कुलदेवी (Arbuda Mata (Adhar Devi) Temple)

अर्बुदा माता का मंदिर Arbuda Mata (Adhar Devi) न केवल माउंट आबू की धार्मिक धरोहर है, बल्कि इसे विभिन्न गोत्रों की कुलदेवी के रूप में भी पूजा जाता है। कई जातियों और समाजों के लोग यहाँ माता अर्बुदा की पूजा करने आते हैं। परमार, मोमतीवाल, श्रीमाली जैन परिवार, राठी झाला, गांधी, चौहान जैसे विभिन्न गोत्रों के लोग इस मंदिर से जुड़े हुए हैं और अपनी कुलदेवी के रूप में माता की आराधना करते हैं।
देलवाड़ा जैन मंदिर: वास्तुकला का अद्भुत चमत्कार
माउंट आबू का एक और महत्वपूर्ण आकर्षण देलवाड़ा जैन मंदिर है, जो अपनी उत्कृष्ट और बारीक वास्तुकला के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह मंदिर 11वीं और 13वीं शताब्दी के बीच बना था और मुख्य रूप से संगमरमर से निर्मित है। देलवाड़ा जैन मंदिर जैन धर्म के पांच प्रमुख मंदिरों में से एक है और यह माउंट आबू के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।
इस मंदिर का निर्माण वास्तुशिल्प का अद्वितीय उदाहरण है, जिसमें संगमरमर की बारीकी से तराशी गई मूर्तियां और नक्काशी देखने लायक है। मंदिर के गुंबदों, दीवारों और स्तंभों पर की गई नक्काशी इतनी सूक्ष्म और जटिल है कि उसे देखने के लिए घंटों का समय भी कम लगता है।
देलवाड़ा जैन मंदिर में मुख्य रूप से पांच मंदिर हैं, जिनमें विमल वसाही मंदिर और लूण वसाही मंदिर प्रमुख हैं। विमल वसाही मंदिर भगवान आदिनाथ को समर्पित है और इसे 1031 ई. में बनाया गया था। वहीं लूण वसाही मंदिर 1231 ई. में निर्मित हुआ था और यह भगवान नेमिनाथ को समर्पित है। मंदिरों की यह संरचना धार्मिक और वास्तुकला की दृष्टि से एक अद्भुत स्थल है और पर्यटकों के लिए एक अनमोल धरोहर है।
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माउंट आबू के अन्य दर्शनीय स्थल
माउंट आबू में अधर देवी Arbuda Mata (Adhar Devi) मंदिर के अलावा भी कई प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
अचलेश्वर महादेव मंदिर
अधर देवी मंदिर से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर अचलगढ़ में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यहां शिवजी के अंगूठे की पूजा की जाती है, और कहा जाता है कि पूरा माउंट आबू पर्वत भगवान शिव के अंगूठे पर टिका हुआ है। यह मंदिर धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है और शिवभक्तों के लिए एक पवित्र स्थल है।
चामुंडा माता मंदिर
अचलगढ़ के ऊपर पहाड़ी पर चामुंडा माता का प्राचीन मंदिर स्थित है, जहाँ पैदल चढ़ाई करके पहुँचा जा सकता है। यह मंदिर शक्ति पूजा के लिए प्रसिद्ध है और यहाँ भक्तों की गहरी आस्था है।
नक्की झील
माउंट आबू के पर्यटन स्थलों में नक्की झील एक प्रमुख आकर्षण है। यह झील अधर देवी Arbuda Mata (Adhar Devi) मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यहाँ बोटिंग का आनंद लिया जा सकता है। झील का शांत पानी और इसके चारों ओर के सुंदर पहाड़ पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
गुरु शिखर
नक्की झील से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर माउंट आबू की सबसे ऊँची चोटी गुरु शिखर स्थित है। यह चोटी न केवल प्राकृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहाँ श्री दत्त गुरु महाराज का मंदिर भी है। यहाँ से पूरे माउंट आबू का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है, जो पर्यटकों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होता है।
सनसेट पॉइंट
नक्की झील से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर सनसेट पॉइंट है, जो माउंट आबू के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। हर शाम यहाँ पर्यटकों की भारी भीड़ जमा होती है, क्योंकि यहां से सूर्यास्त का नज़ारा बेहद सुंदर होता है। जैसे ही सूर्य पहाड़ियों के पीछे छिपता है, आसमान में फैलने वाले रंगों का खेल देखने लायक होता है।
माउंट आबू कैसे पहुंचे?
माउंट आबू तक पहुंचना काफी सुविधाजनक है। माउंट आबू का नजदीकी रेलवे स्टेशन आबूरोड है, जो यहां से लगभग 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आबूरोड से बस, टैक्सी या निजी वाहन के जरिए माउंट आबू आसानी से पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा, राजस्थान और गुजरात के प्रमुख शहरों से माउंट आबू के लिए सीधी बस सेवाएं भी उपलब्ध हैं।
माउंट आबू न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता और हिल स्टेशन के आकर्षण के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके धार्मिक महत्व के कारण भी यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। अधर देवी मंदिर, अचलेश्वर महादेव, गुरु शिखर, और नक्की झील जैसे प्रमुख स्थलों की यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, बल्कि यह आपके जीवन को एक नई ताजगी और शांति प्रदान करती है।