ब्रह्मखाई और शिव का अंगूठा भगवान् शिव की नगरी अद्वितीय अचलेश्वर महादेव मंदिर माउंट आबू | Achaleshwar Mahadev Temple Mount Abu

Spread the love

अचलेश्वर महादेव मंदिर भगवान् शिव की शक्ति और चमत्कार का जीवंत प्रतिक है, यह न केवल एक धार्मिक स्थल है बल्कि इसे भारतीय और पौराणिक धरोहर भी है ! माउंट आबू के इस मंदिर की अनूठी विशेषता यह है की यहा भगवान् शिव के अंगूठे की पूजा होती है, यहाँ की हर कहानी हर मान्यता भक्तो के हृदय में शिव की महिमा को गहराई से स्थापित करती है !

राजस्थान के एकलौते हिल स्टेशन माउंट आबू को भगवान् शिव की नगरी के रूप में जाना जता है ! यह भगवान् शिव के कुल 108 मंदिर है, इसी कारण से इसे अर्ध कशी भी कहते है , स्कन्द पुराण के अनुसार काशी भगवान शिव मुख्य नगरी है जबकि माउंट आबू उनकी उपनगरी मानी जाती है ! यहा के शिव मंदिरों में से एक प्रमुख मंदिर अचलेश्वर महादेव मंदिर है, जो अपनी अनोखी विशेषता के कारण न केवल भारत में बल्कि पुरे विश्व में प्रसिद्द है !

माउंट आबू से लगभग 09 किलोमीटर की दुर अचलगढ़ में स्थित है ! सामान्यत: शिव मंदिरों में शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति की पूजा होती है लेकिन अचलेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव के अंगूठे की पूजा होती है और अंगूठे पर ही जल और दूध चढ़ाया जाता है, चढ़ाया हुआ जल ब्रह्म खाई में चला जाता है ! ऐसा भी कहा जाता है की इसी ब्रह्म खाई पर माउंट आबू का पहाड़ भगवान् शिव के अंगूठे पर टिका हुआ है ! यह अंगूठा अत्यंत पवित्र माना गया है ऐसा कहा जाता है की यह अंगूठा दिन में 3 बार अपना रंग बदलता है !

• सुबह इसका रंग लाल होता है!
• दोपहर में यह केसरिया हो जाता है!
• रात में शिवलिंग का रंग श्याम (काला) हो जाता है !
यह चमत्कार यहाँ आने वाले भक्तों को आश्चर्यचकित करता है और उनकी श्रद्धा को और गहरा बनाता है !

मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव के अंगूठे के नीचे एक गड्ढा है, जिसे लेकर कई रहस्यमय बातें जुड़ी हुई हैं!

• मान्यता है कि यह गड्ढा कभी भरता नहीं है, चाहे इसमें कितना भी पानी डाला जाए !
• जो भी भक्त इस गड्ढे में जल चढ़ाते हैं, वह तुरंत गायब हो जाता है !
• आज तक इस रहस्य का समाधान कोई नहीं कर पाया है कि यह जल कहाँ चला जाता है !
• मंदिर परिसर में पंचधातु से बनी नंदी की मूर्ति स्थापित है। नंदी को भगवान शिव का वाहन और उनके परम भक्त के रूप में पूजा जाता है !

अचलेश्वर महादेव का इतिहास अद्भुत और अद्वितीय है और यह दुनिया भर में ऐसा एक मात्र मंदिर है !

माउंट आबू के इतिहास में बारे अधिक जानकारी के लिए यहा क्लिक करे

कैसे पहुचे ?

माउंट आबू तक पहुँचने के कई साधन उपलब्ध हैं, जिनमें सड़क, रेल और हवाई मार्ग शामिल हैं।
माउंट आबू का नजदीकी रेल्वे स्टेशन आबुरोड है और आबुरोड से बस और टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है !
आबुरोड से लगभग 40.6 किलोमीटर की दुरी पर है अचलेश्वर महादेव मंदिर और माउंट आबू से लगभग 09 किलोमीटर दूर है अचलेश्वर महादेव मंदिर !

Join WhatsApp Join Now
Join Telegram Join Now
Join Instagram Join Now
Join Pinterest Join Now
Powered By NVH Films Logo

Leave a Comment

माँ आरासुरी अंबाजी प्रधान शक्तिपीठ तीर्थ धाम अहमदाबाद से केवल 4 घंटे की दुरी पर है राजस्थान का यह हिल स्टेशन दीवाली पर आते है दुनिया भर से पर्यटक नवरात्रि 9 देवी के नाम महाराणा प्रताप से जुड़ा जबकेश्वर महादेव का इतिहास आरासुरी अंबाजी नाम की कहानी