कल्याणी स्वरुप में माँ भद्रकाली का एकमात्र मंदिर
राजस्थान के सिरोही जिले में आबुरोड के निकट उमरणी गाँव (मानपुर के पास) स्थित है माँ भद्रकाली का एकमात्र प्रसिद्ध मंदिर। यह मंदिर देवी भद्रकाली के कल्याणी स्वरूप को समर्पित है, जहाँ देवी चार भुजाओं में विशेष प्रतीकों के साथ विराजमान हैं। माँ के एक हाथ में त्रिशूल है, दूसरे में माला, तीसरे हाथ में घंटी, और चौथे हाथ में कमंडल। माँ भद्रकाली का यह रूप विशेषता से सुंदर और मनमोहक है। माता की मूर्ति के दर्शन मात्र से भक्तों को अपार शांति और शक्ति का अनुभव होता है।

इस मंदिर की अनोखी विशेषता यह है कि माँ भद्रकाली की यह मूर्ति अमरावती के राजा अमरीश ने बनवाई थी। मान्यता है कि माँ ने राजा अमरीश को इसी स्वरूप में दर्शन दिए थे, और उसी रूप की मूर्ति स्थापित करके उन्होंने माँ को अपनी कुलदेवी के रूप में पूजा।
पुजारी जी के बताये अनुसार माँ भद्रकाली की यह मूर्ति 8000 वर्ष पुरानी है जो पहले मंदिर अभी के मंदिर से कुछ दुरी पर हुआ करता था, प्रलय आने पर अमरावती नगरी डूब गई उसके बाद ऋषियो ने माँ भद्रकाली की मूर्ति को वहा से लाकर अभी जो मंदिर है उसके पीछे स्थापित करके पूजा अर्चना तप किया करते थे ! फिर धीरे धीरे कलयुग का प्रभाव बढ़ने लगा तो तो ऋषि मुनि यह से चले गए और माँ की पूजा अर्चना बंद होने लगी और मूर्थी धीरे धीरे मिटटी से ढकने लग गई, फिर माँ ने सिरोही के राजा को साक्षात् दर्शन दिए और फिर सिरोही के महाराजा साहेब ने मंदिर बना कर वाही मूर्ति को इस मंदिर में स्थापित करवाया जो हाल में मंदिर मौजूद है !
यह मंदिर सिरोही दरबार के अंतर्गत आता है और इसकी देख रेख सिरोही दरबार क द्वारा किया जता है !
भगवान ऋषिकेश और कर्णीकेश्वर महादेव मंदिर
माँ भद्रकाली मंदिर के समीप ही भगवान ऋषिकेश और कर्णीकेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है। यह मंदिर भी अमरावती नगरी की धरोहर मानी जाती है और ऐतिहासिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। राजा अमरीश ने कठोर तपस्या के द्वारा भगवान विष्णु को प्रसन्न किया था। भगवान विष्णु उनके तप से प्रसन्न होकर प्रकट हुए और वरदान माँगने को कहा ! राजा ने भगवान से प्रार्थना की कि वे हमेशा अमरावती नगरी में निवास करें ताकि वे भगवान विष्णु के दर्शन हर दिन कर सकें। उनकी इस प्रार्थना से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु, भगवान शिव और माँ भद्रकाली ने इस स्थान को अपना स्थायी निवास स्थान बना लिया ! इसलिए भगवान् विष्णु साक्षात भगवान् ऋषिकेश के रूप में और भगवान् शिव कर्निकेश्वर महादेव के रुय्प में और माँ भद्रकाली (कल्याणी स्वरुप में ) साक्षात विराजमान है !
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मंदिर तक पहुँचने का मार्ग
आबूरोड रेलवे स्टेशन से माँ भद्रकाली मंदिर की दूरी लगभग 6.5 किलोमीटर है। यहाँ तक पहुँचने के लिए आसानी से वाहन उपलब्ध हैं, और मंदिर के निकट पहुँचने पर प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक वातावरण का अनुभव होता है। श्रद्धालुओं के लिए यहाँ आना अत्यधिक आनंद और श्रद्धा का अवसर प्रदान करता है।
राजा अमरीश की कहानी बेहद प्रेरणादायक और धार्मिक आस्था से भरपूर है। उनकी भक्ति और तपस्या ने ही इस स्थान को इतना महत्वपूर्ण और पवित्र बना दिया।