माउंट आबू के नक्की झील का इतिहास बेहद महत्वपूर्ण और रहस्यमयी है। यह झील न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानी जाती है, बल्कि इससे जुड़ी लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं ने इसे एक खास स्थान बना दिया है। कहा जाता है कि नक्की झील का निर्माण किसी साधारण व्यक्ति द्वारा नहीं, बल्कि एक अद्वितीय कारीगर रसिया बालम ने किया था। आइए, नक्की झील और रसिया बालम की कहानी को विस्तार से समझते हैं।
नक्की झील की उत्पत्ति: एक असाधारण कथा
माउंट आबू की नक्की झील को रसिया बालम ने अपने नाखूनों से खोदकर बनाया था। यह कार्य कोई सामान्य नहीं था; इसमें न केवल शारीरिक परिश्रम की आवश्यकता थी, बल्कि इसमें मां अर्बुदा (अधर देवी) की भक्ति और आशीर्वाद का भी महत्वपूर्ण योगदान था। यह झील रातों-रात बनाई गई थी, और इसके पीछे की कहानी एक अनूठी लोककथा से जुड़ी है।
गुजरात के राजा वास्तुपाल और तेजपाल ने जब माउंट आबू में प्रसिद्ध देलवाड़ा जैन मंदिर का निर्माण कार्य पूरा कर लिया, तो उन्होंने सोचा कि अगर इस मंदिर के पास एक बड़ी झील बना दी जाए, तो इस स्थल का सौंदर्य और भी बढ़ जाएगा। इस विचार से प्रेरित होकर, राजा ने घोषणा की कि जो कोई व्यक्ति एक ही दिन और रात में झील का निर्माण कर देगा, वह अपनी इकलौती राजकुमारी का विवाह उससे कर देंगे। यह चुनौती कठिन थी, लेकिन राजा अपने वचन के पक्के थे और उन्होंने यह शर्त रख दी।
यह खबर जब रसिया बालम तक पहुंची, तो उसने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया। रसिया बालम एक प्रतिभाशाली कारीगर था, जिसने देलवाड़ा जैन मंदिर का निर्माण किया था। लेकिन उसके पास खोदने के लिए कोई औजार नहीं थे, और झील का निर्माण करना उसके लिए एक बड़ी चुनौती थी। रसिया बालम मां अर्बुदा (अधर देवी) का परम भक्त था, और उसने मां की उपासना करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का संकल्प लिया।
रसिया बालम ने मां अर्बुदा से प्रार्थना की, “हे मां! अगर मेरी भक्ति सच्ची है, तो मुझे इस कार्य में सफल करें।” मां अर्बुदा ने उसकी प्रार्थना सुनी और उसे झील खोदने का आशीर्वाद दिया। आशीर्वाद पाने के बाद, रसिया बालम ने अपने नाखूनों से झील खोदना शुरू किया। उसने बिना किसी औजार के ही झील को खोदने का कठिन कार्य पूरा किया, और आधी रात के भीतर झील बनकर तैयार हो गई।
जब झील का निर्माण पूरा हो गया, तो रसिया बालम राजा के दरबार में पहुंचा और कहा, “हे राजन! झील बनकर तैयार है, अब आप अपना वचन निभाएं।” राजा अपने वचन के अनुसार रसिया बालम और राजकुमारी का विवाह कराने के लिए तैयार हो गए। शर्त के अनुसार, विवाह सुबह भोर होने से पहले होना चाहिए था। रसिया बालम ने मां अर्बुदा से आशीर्वाद लेकर दूल्हे के रूप में राज दरबार में प्रवेश किया और फेरे लेने के लिए मंडप में आ गया।
हालांकि, इस विवाह से रानी खुश नहीं थीं। रानी ने सोचा, “कैसे एक साधारण कारीगर मेरी बेटी से विवाह कर सकता है?” उन्होंने एक चाल चली। रानी ने आधी रात को मुर्गे का रूप धारण कर लिया और भोर का संकेत देने के लिए मुर्गे की तरह कुकड़ू-कूं करने लगी। उस समय, प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, मुर्गे की आवाज से लोग समझते थे कि भोर हो चुकी है।
जब रसिया बालम ने मुर्गे की आवाज सुनी, तो वह हैरान हो गया। उसने सोचा कि अभी तो आधी रात ही है, फिर यह भोर का मुर्गा कैसे बोल सकता है? उसे लगा कि उसके साथ छल किया गया है। तब उसने मां अर्बुदा को याद किया और मां की कृपा से उसे पता चला कि उसकी सास ने मुर्गे का रूप धारण करके उसे धोखा दिया है।
रसिया बालम ने तुरंत बिल्ली का रूप धारण कर लिया और उस मुर्गे की गर्दन मरोड़कर उसे मार डाला। इसके बाद, तीनों—रसिया बालम, राजकुमारी, और रानी—पत्थर की मूर्ति में बदल गए। कहा जाता है कि आज भी माउंट आबू में इन तीनों की पत्थर की मूर्तियां मौजूद हैं।
इस घटना से जुड़ी एक और मान्यता यह है कि कलियुग के अंत से पहले रसिया बालम और राजकुमारी फिर से जीवित होंगे और उनका मिलन होगा।
नक्की झील का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
नक्की झील केवल एक लोककथा का हिस्सा नहीं है, बल्कि इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। झील के आसपास के कई स्थल, जैसे अधर देवी मंदिर और रघुनाथ मंदिर, धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु झील के पवित्र जल में स्नान करके स्वयं को धन्य मानते हैं और मां अर्बुदा के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
मां अर्बुदा का यह स्थान धार्मिक रूप से उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि माउंट आबू का बाकी हिस्सा। यहां आने वाले पर्यटक झील के साथ जुड़े धार्मिक और पौराणिक इतिहास को जानने के साथ-साथ इसके प्राकृतिक सौंदर्य का भी आनंद लेते हैं।
नक्की झील: पर्यटन और प्राकृतिक सौंदर्य
नक्की झील माउंट आबू के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां का शांत वातावरण, साफ पानी, और चारों ओर की हरी-भरी पहाड़ियां पर्यटकों के लिए एक अद्भुत अनुभव प्रदान करती हैं। झील में बोटिंग करने का आनंद लेना, इसके किनारे टहलना, और आसपास के सुंदर दृश्य देखना हर पर्यटक के लिए एक यादगार अनुभव होता है।
झील के किनारे कई छोटे-छोटे रेस्तरां और दुकानें हैं, जहां से स्थानीय भोजन और हस्तशिल्प की वस्तुएं खरीदी जा सकती हैं। विशेषकर शाम के समय झील का दृश्य बेहद आकर्षक होता है, जब सूरज की किरणें झील के पानी पर पड़ती हैं और इसे सुनहरे रंग में रंग देती हैं।