“रीछेश्वर महादेव (Richheshwar Mahadev) तीर्थ धाम” राजस्थान के पिंडवाडा रेलवे स्टेशन से लगभग 15 किलोमीटर और सिरोही लगभग 24 किलोमीटर की दुरी पर गाँव नांदिया में रिछी पर्वत (नंदी वर्धन) के अनुपम वातावरण में रीछेश्वर महादेव मंदिर प्रसिद्ध है। यह मंदिर पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है, जिसमें उल्लेख है कि भगवान श्रीकृष्ण को स्यमंतक मणि की चोरी के आरोप में मणि प्राप्त करने के लिए यहाँ आना पड़ा था।

रीछेश्वर महादेव का इतिहास
अरावली पवर्तमाला में स्थित नांदिया ग्राम की पवित्र धरती पर प्रसिद्ध रीछेश्वर महादेव (Richheshwar Mahadev) मन्दिर रीछी पवर्त की गोद में स्थित है। इस मन्दिर का इतिहास बहुत प्राचीन है।

त्रेता युग में भगवान श्री राम और रावण युद्ध के समय युद्ध समाप्ति तक जामवंतजी नही थके तब जामवंतजी ने भगवान् श्री राम से कहा कि अभी मुझे और लडना है तब प्रभु श्री राम ने कहा अब मैं आपको द्वापर युग में कृष्ण अवतार में मिलूँगा तब आपकी इच्छा पूरी होगी। तब तक के लिये जामवंतजी रीछी पर्वत में स्थित गुफा में तपस्या में लीन हो गए !
द्वापर युग में द्वारिका धाम क्षेत्र मे सत्राजित नामक एक राजा थे ,सत्राजित श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा के पिता थे वो सुर्यदेव के महान भक्त थे सुर्यदेव ने ही उसे स्यमन्तक मणि प्रदान की थी यह मणि प्रतिदिन लगभग एस सौ सत्तर पौण्ड स्वर्ण उत्पन्न करती थी उसके अतिरिक्त वैदिक साहित्य से ज्ञात होता है कि संसार के जिस किसी भी भाग में इस मणि की उपासना होती है वहा कभी अकाल नहीं पड़ता। यही नही जहां भी यह रहती है वहां महामारी अथवा व्याधि जैसी किसी भी अशुभ घटना की सम्भावना नहीं रहती।
एक दिन राजा सत्राजित का छोटा भाई प्रसेन वह स्यमन्तक मणि लेकर वन में गया। वन में स्थित सिंह ने प्रसेन का वधकर लिया एवं मणि सिह के पास आ गई । सिंह से वह मणि जामवंतजी को प्राप्त हो गई। उधर दूसरी ओर राजा सत्राजित ने श्री कृष्ण पर स्वमन्तक मणि चुराने का झूठा आरोप लगा दिया। तब भगवान श्री कृष्ण मणि की तलाश में रीछी पर्वत पहुँचे तब पता चला कि स्वमन्तक मणि जामंवतजी के पास है।

मणि पाने के लिये 28 दिनों तक श्री कृष्ण व जामवंतजी का युद्ध चला । अंत में श्री कृष्ण ने जब राम स्वरूप दिखाया तब जामवंतजी ने पहचाना कि भगवान श्री राम त्रेता युग में दिया हुआ अपना वचन निभाने आए है । जामवंतजी ने श्री कृष्ण से कहा, की ये स्यमन्तक मणि आपको एक शर्त पर ही दे सकता हूँ कि आप मेरी पुत्री जामवंती से विवाह करें ।

शर्त मानकर श्री कृष्ण ने जामवंतजी की पुत्री (जामवंती) से ब्याह रचाया और यहां मंदिर में स्थित एक स्तंभ के चारो फेरे लिये । तभी भगवान शिव ने प्रकट हो कर दोनो को आर्शीवाद दिया और अन्तर्ध्यान हो गए। उसके बाद यही शिवलिंग ‘स्वयं भू’ प्रकट हुआ जिसकी स्थापना श्री कृष्ण के हाथो हुई । तत्पश्चात श्री कृष्ण जामवंती के साथ गुफा मार्ग से माउंट आबू से होते हुए द्वारका चले गए थे ! मंदिर में वह गुफा आज भी मौजूद है , और इस गुफा को बंद कर दिया गया है क्योकि गुफा से वन्यजीव मंदिर में आकर बैठ जाते थे, इस कारण से कुछ दशक पूर्व ही इस गुफा को बंद कर दी गई। ऐसा कहा जाता है की इस गुफा के अंदर कुछ किलोमीटर दुरी पर एक विशाल तालाब भी है ! भगवान शिव जामवंतजी की गुफा में प्रकट हुए तथा जामवंतजी यहाँ रीछों के राजा थे, इसलिये इस स्थान का नाम ‘रीछेश्वर महादेव ‘ पडा । इस शिवलिंग पर प्राकृतिक जनेऊ की आकृति बनी हुई है ।
इस रीछी पर्वत की प्रत्येक माह की पूर्णिमा को परिक्रमा का विशेष महत्व है।
लोगो की धारणा है की प्रत्येक माह की पूर्णिमा को परीक्रमा का विशेष महत्व है लोगो का मानना है की सच्चे मन से की गयी परीक्रमा से भागवान श्री रीछेश्वर महादेव प्रसन्न होते है और सारी मनोकामना पूरी करते है !
ऑस्ट्रेलिया से आये दुर्गानाथ जी महाराज | Shri Shri 1008 Durganathji Maharaj From Australia

ऑस्ट्रेलिया मूल निवासी दुर्गानाथ जी महाराज जो ऑस्ट्रेलिया से आकर रीछेश्वर महादेव तीर्थ धाम नांदिया में लगभग 10 से 15 साल तक इस मंदिर में रहकर भगवान भोलेनाथ की तपस्या की और एक कुटिया में रहे थे ! उन्होंने यहाँ रहकर तपस्या करके कई सिद्धिया अर्जित की और अभी हाल में वो ऑस्ट्रेलिया में श्री रीछेश्वर महादेव का मंदिर बनाकर वहा पर अपनी तपस्या कर रहे है ! आस पास के ग्राम वासियों का कहना है की दुर्गा नाथ जी महाराज को रात के समय माँ दुर्गा का रूप में कई लोगो ने देखा था ! दुर्गानाथ जी एक महिला थे और वो भी ऑस्ट्रेलिया के रहेने वाले थे और घने जंगल में अकेले रहना बड़ा मुश्किल था पर भोलेनाथ की कृपा से 10-15 साल तक यहाँ रहे और यहाँ के साधू संतो में अपना नाम दर्ज करके गये ! यहाँ रहकर उन्होंने तप करके कई सिद्धिय अर्जित की इसलिए साधू महात्माओ ने उन्हें श्री श्री 1008 की उपाधि दी !
जनोई धारी स्वयंभू शिवलिंग | Richheshwar Mahadev

श्री कृष्ण और जामवंती के ब्याह के दौरान भगवान ने शिव ने स्वयं प्रकट हो कर उनका ब्याह करवा कर उन्हें आशीर्वाद दिया और अंतर्ध्यान हो गए उसके उपरान्त वहा पर जनोई धारी स्वयम्भू शिवलिंग प्रकट हुआ जिसकी स्थापना श्री कृष्ण ने स्वयं की और रीछेश्वर महादेव के नाम से जाने गए !
श्रावण माह में पदम् नाग के विशष दर्शन
श्रावण माह में रीछेश्वर महादेव (Richheshwar Mahadev) मंदिर में पदम् नाग के विशेष दर्शन होते है , इस साल 2024 में पदम् नाग के दर्शन करने दूर दूर से लोग आ रहे थे ,पर कुछ लोगो को ही पदम् नाग के दर्शन होते थे ! पदम् नाग के दर्शन फोटो और विडियो रीछेश्वर महादेव इंस्टाग्राम पेज पर उपलब्ध है !

संत श्री श्री 1008 दूधाधारी जी महाराज समाधी
संत श्री श्री दूधाधारीजी महाराज ने रीछेश्वर महादेव (Richheshwar Mahadev) तीर्थ धाम नांदिया में कई वर्षो पहले तपस्या की थी , ऐसा कहा जाता है की यहाँ घना जंगल होने की वजह जंगली जानवरों का खतरा हमेशा रहता था इसलिए श्री श्री 1008 दुधा धारी जी महाराज रात के समय शेर का रूप ले लेते थे और अपनी तपस्या में लींन रहते थे !

रीछेश्वर महादेव मंदिर लोकेशन
आरासुरी अंबाजी तीर्थ धाम प्रधान शक्तिपीठ मंदिर
श्री रीछेश्वर महादेव तीर्थ धाम से 6.5 किलोमीटर दुरी पर गाँव आरासणा के पास श्री आरासुरी अंबाजी तीर्थ धाम है, श्री आरासुरी अंबाजी प्रधान शक्तिपीठ माना गया है जो आदिकाल से माँ आरासुरी अंबाजी के नाभि कमल की पूजा होती है ! इस मंदिर में प्राकृतिक प्रकट हुए श्रीयन्त्र को पूजा जाता है , यह मंदिर दाता अंबाजी का आदिस्थल भी माना जाता है !

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वायु मार्ग एवं रेल मार्ग
रीछेश्वर महादेव तीर्थ धाम के नजदीकी हवाई अड्डा “महाराणा प्रताप हवाई अड्डा” है जो उदयपुर में है जो रिछेश्वर महादेव मंदिर से लगभग 130 किलोमीटर दूरी पर स्थित है ! उदयपुर से पिण्डवाडा तक बस सुविधा उपलब्ध है और पिण्डवाडा से रीछेश्वर महादेव के लिए टैक्सी ऑटो रिक्शा ले सकते है !
रीछेश्वर महादेव तीर्थ धाम के नजदीकी रेल्वे स्टेशन पिण्डवाडा है जो की लगभग १२.50 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है , पिण्डवाडा से रीछेश्वर महादेव के लिए टैक्सी ऑटो रिक्शा ले सकते है !
रिछेश्वर महादेव धुन | Richheshwar Mahadev Dhun
।। श्री रीछेश्वर महादेव की जय।।
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